कौन हैं Sarabjot Singh? जिन्होंने पेरिस ओलंपिक 2024, निशानेबाजी में दिलाया भारत को दूसरा पदक

By Bhagirath Das

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Sarabjot Singh

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10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित टीम स्पर्धा में भारतीय निशानेबाज मनु भाकर और Sarabjot Singh ने कांस्य पदक जीतकर पेरिस ओलंपिक में भारत को दूसरा पदक दिलाया है|

विस्तार

22 वर्षीय भारतीय निशानेबाज सरबजोत सिंह ने पेरिस ओलंपिक के 10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित टीम स्पर्धा में मनु भाकर के साथ कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया है| इसके साथ ही मनु भाकर स्वतंत्र भारत की पहली ऐसी महिला खिलाड़ी बन गई है, जिन्होंने एक ही ओलंपिक में भारत के लिए दो पदक अपने नाम किया है|

Sarabjot Singh
Paris Olympics 2024 मनु भाकर और सरबजोत सिंह

इससे पहले उन्होंने महिला सिंगल्स स्पर्धा में कांस्य पदक जीता था| इस जीत के साथ भारत के पदको की संख्या अब दो हो गई है| मनु भाकर और सरबजोत सिंह ने मिक्स टीम स्पर्धा में दक्षिण कोरिया को 16-10 के स्कोर से हराने में कामयाब हुआ| यह उपलब्धिबहुत खास है क्योंकि सरबजोत सिंह, गगन नारंग और विजय कुमार के बाद ओलंपिक पदक जीतने वाले तीसरे भारतीय निशानेबाज बन गये है, जिन्होंने 2012 में कांस्य पदक जीता था|

कौन हैं Sarabjot Singh

अंबाला के धीन गांव से आने वाले सरबजोत सिंह एक साधारण किसान परिवार में भरण-पोषण हुआ है| उनके पिताजी का नाम जतिंदर सिंह, जो एक किसान हैं| वही उनकी माँ हरदीप कौर घर के कम में हाथ बटाती है| सरबजोत ने चंडीगढ़ के डीएवी कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की और अभिषेक राणा की निगरानी में अपनी ट्रेनिंग पूरी की है|

Sarabjot Singh
Paris Olympics 2024 मनु भाकर और सरबजोत सिंह

सरबजोत ने अपने करियर की शुरुआत 2019 जूनियर विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर किया था| उन्होंने हांग्जो(चाइना) में 2022 एशियाई खेलों में टीम स्वर्ण और 2023 एशियाई चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था| उन्होंने भोपाल में आईएसएसएफ विश्व कप 2023 में 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में स्वर्ण पदक भी जीत चुके है| हाल ही में उन्होंने म्यूनिख में आईएसएसएफ विश्व कप 2024 में एक और स्वर्ण पदक जीता था|

फूटबॉलर बनना चाहते थे सरबजोत

स्कूल के टाइम से सरबजोत को फूटबॉल खेलने का बहुत शौक था, लेकिन एक समर शिविर के दौरान कुछ बच्चों को शूटिंग रेंज में एयर गन चलाते देख सरबजोत का मैन बदल गया और इसके बाद उन्होंने शूटिंग में अपना करियर बनाने का फैसला किया| 2014 में उन्होंने अपने पिता से अपने सपने के बारे में बताया था|

जिसको उसके पिताजी बार-बार टाल रहे थे, लेकिन बेटे के जिद के सामने उसको झुकाना ही पड़ा| निशानेबाजी को आगे बढ़ाने के लिए वित्तीय मुश्किलों के कारण अपने पिता की शुरुआती हिचकिचाहट के बावजूद, सरबजोत ने अपने माता-पिता को अपनी महत्वाकांक्षाओं का समर्थन करने के लिए सफलतापूर्वक मना लिया|

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